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Tuesday, 23 December 2014
GOODS AND SERVICE TAX BILL 2014
भारत में जीएसटी लगाने हेतु लोकसभा में बिल पेश किया गया है. यह बिल संविधान संशोधन १२२ लोकसभा में पारित होने के बाद राज्यसभा में पेश किया जायेगा. राज्यसभा में पास होने के बाद यह बिल राज्यों की सहमती के बाद यह बिल पूरे देश में लागू हो जायेगा.GST लागू होने से केंद्र को माल पर एंड राज्यों को सेवा कर लेने का अधिकार प्राप्त हो जायेगा. इस बिल में पेट्रोलिएम एंड टोबाको को बाहर रखा गया है. तथा इससे स्टेट को राजस्व प्राप्त होगा. पांच वर्ष के बाद यह प्रोडक्ट भी इस एक्ट में शामिल हो जायेगे.यह बिल पास होने के बाद पूरे देश में कॉम्मन मार्केट होगा जिससे की निवेश आने से साथ ही इकनोमिक ग्रोथ में २ प्रतिशत वृद्धि होने का अनुमान है. GST से सम्पूर्ण देश में कर दर एक समान हो जाएगी. जिससे डीलर्स एंड ग्राहकों को माल खरीदने की आसानी होगी.
Sunday, 21 December 2014
GST BILL 2014
GOOD AND SERVICE TAX NEW BILL AMENDMENT 122 IN LOKSABHA ON 19-12-2014
VIEW DETAIL BILL THIS LINK:-
GST BILL CONSTITUTION AMENDMENT 122
VIEW DETAIL BILL THIS LINK:-
GST BILL CONSTITUTION AMENDMENT 122
Monday, 17 November 2014
Introduction (GOODS AND SERVICE TAX)
Introduction (GOODS AND SERVICE TAX)
1.
The Kelkar Task Force on
implementation of the FRBM Act, 2003 had pointed out that although the indirect
tax policy in India has been steadily progressing in the direction of VAT
principle since 1986, the existing system of taxation of goods and services
still suffers from many problems and had suggested a comprehensive Goods and
Services Tax (GST) based on VAT principle. GST system is targeted to be a
simple, transparent and efficient system of indirect taxation as has been
adopted by over 130 countries around the world. This involves taxation of goods
and services in an integrated manner as the blurring of line of demarcation
between goods and services has made separate taxation of goods and services
untenable.
2. Introduction
of an Goods and Services Tax (GST) to replace the existing multiple tax
structures of Centre and State taxes is not only desirable but imperative in
the emerging economic environment. Increasingly, services are used or consumed
in production and distribution of goods and vice versa. Separate taxation of
goods and services often requires splitting of transactions value into value of
goods and services for taxation, which leads to greater complexities,
administration and compliances costs. Integration of various Central and State
taxes into a GST system would make it possible to give full credit for inputs
taxes collected. GST, being a destination-based consumption tax based on VAT
principle, would also greatly help in removing economic distortions caused by
present complex tax structure and will help in development of a common national
market.
3. A
proposal to introduce a national level Goods and Services Tax (GST) by April 1,
2010 was first mooted in the Budget Speech for the financial year 2006-07.
Since the proposal involved reform/ restructuring of not only indirect taxes
levied by the Centre but also the States, the responsibility of preparing a
Design and Road Map for the implementation of GST was assigned to the Empowered
Committee of State Finance Ministers (EC). In April, 2008, the EC a report to
the titled “A Model and Roadmap for Goods and Services Tax (GST) in India”
containing broad recommendations about the structure and design of GST. In
response to the report, the Department of Revenue made some suggestions to be
incorporated in the design and structure of proposed GST. Based on inputs from
GoI and States, The EC released its First Discussion Paper on Goods and
Services Tax in India on the 10th of November, 2009 with the objective of
generating a debate and obtaining inputs from all stakeholders.
4. A
dual GST module for the country has been proposed by the EC. This dual GST
model has been accepted by centre. Under this model GST have two components
viz. the Central GST to be levied and collected by the Centre and the State GST
to be levied and collected by the respective States. Central Excise duty,
additional excise duty, Service Tax, and additional duty of customs (equivalent
to excise), State VAT, entertainment tax, taxes on lotteries, betting and
gambling and entry tax (not levied by local bodies) would be subsumed within
GST.
5. In
order to take the GST related work further, a Joint Working Group consisting of
officers from Central as well as State Government was constituted. This was
further trifurcated into three Sub-Working Groups to work separately on draft
legislations required for GST, process/forms to be followed in GST regime and
IT infrastructure development needed for smooth functioning of proposed GST. In
addition, an Empowered Group for development of IT Systems required for Goods
and Services Tax regime has been set up under the chairmanship of Dr. Nandan
Nilekani.
6. A
draft of the Constitutional Amendment Bill has been prepared and has been sent
to the EC for obtaining views of the States.
परिचय(माल एवं सेवा कर)
1. राजकोषीय जवाबदेही तथा बजट प्रबंध अधिनियम,2003 को लागू करने के लिए
केलकर कार्यदल (टास्क फोर्स) ने इंगित किया है कि यद्यपि भारत की अप्रत्यक्ष कर
नीति 1986 से वैट के सिद्धांतों की दिशा में लगातार बढ़ रही है, परन्तु माल एवं
सेवा कर कराधान की वर्तमान प्रणाली में अब भी कई समस्याएं हैं और उन्होंने मूल्य वर्धित कर (वैट) के सिद्धांत पर आधारित
एक व्यापक माल एवं सेवा कर (जी एस टी) को लागू करने का सुझाव दिया था । माल एवं सेवा
कर प्रणाली का लक्ष्य अप्रत्यक्ष कराधान की एक ऐसी सरल, पारदर्शी एवं दक्ष
प्रणाली उपलब्ध कराना है जैसी कि विश्व के 130 से अधिक देशों में अपनाई गई है ।
इसमें माल एवं सेवाओं पर एकीकृत रूप से कर लगाना शामिल है चूंकि माल एवं सेवाओं के
बीच सीमा-रेखा फीकी पड़ जाने से माल एवं सेवाओं पर अलग-अलग कर लगाना अयुक्तियुक्त
हो गया है।
2. उभरते हुए आर्थिक वातावरण में यह न केवल वांछनीय है अपितु यह अनिवार्य
हो गया है कि केन्द्र एवं राज्य करों के वर्तमान बहु-कर संरचना के स्थान
पर माल एवं सेवा कर (जी एस टी) को लागू
किया जाए । माल के उत्पादन एवं वितरण में सेवाओं का उपयोग अथवा उपभोग तथा
विलांमत: अधिकाधिक हो गया है । माल एवं सेवाओं पर अलग-अलग कर लगाने के लिए सौदे की
राशि में से माल के मूल्य एवं सेवा के मूल्य को अक्सर अलग-अलग करना अपेक्षित
होता है जो बहुत पेचीदा होता है तथा जिससे प्रशासनिक एवं अनुपालन लागत बढ़ जाती है
। केन्द्रीय एवं राज्य करों के माल एवं सेवा कर की एक प्रणाली में एकीकरण से
वसूल किये गये निविष्टि करों पर पूर्ण क्रेडिट देना संभव हो जाएगा । माल एवं सेवा
कर वैट सिद्धांत पर आधारित गंतव्य स्थान पर लगाये जाने वाला एक उपभोग कर है,
जिससे वर्तमान पेचीदा कर संरचना से होने वाले आर्थिक विकारों को दूर करने में काफी
मदद मिलेगी तथा इससे एक आम राष्ट्रीय बाजार का विकास करने में भी मदद मिलेगी ।
3. वित्तीय वर्ष 2006-07 के बजट
भाषण में पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर माल एवं सेवा कर को 1 अप्रैल, 2010 तक
प्रारंभ करने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया था । चूंकि प्रस्ताव में न केवल
केन्द्र द्वारा अपितु राज्यों द्वारा भी लगाये जा रहे अप्रत्यक्ष करों में
सुधार/पुनसंरचना शामिल थी, इसलिए माल एवं सेवा कर (जी एस टी) लागू करने के लिए एक
रूप - रेखा तथा दिशा-निर्देश तैयार करने की जिम्मेदारी राज्य वित्त मंत्रियों
की अधिकार प्राप्त समिति को सौंपी गई । अधिकार प्राप्त समित ने अप्रैल,2008 में “भारत में माल एवं सेवा कर हेतु मॉडल एवं दिशा-निर्देश” नामक एक रिपोर्ट प्रस्तुत
की जिसमें माल एवं सेवा कर की
संरचना एवं रूप - रेखा के संबंध में व्यापक सिफारिशें की गई थी। रिपोर्ट के प्रत्युतर में राजस्व विभाग ने
प्रस्तावित माल एवं सेवा कर की रूप- रेखा
एवं संरचना में शामिल करने हेतु कुछ सुझाव दिये । भारत सरकार एवं राज्यों से
प्राप्त प्रतिक्रियाओं के आधार पर राज्य वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त
समिति ने 10 नवम्बर,2009 को भारत में माल
एवं सेवा कर पर प्रथम चर्चा - पत्र जारी किया, जिसका उद्देश्य एक बहस प्रारंभ
करना तथा सभी दावाकर्ताओं से प्रतिक्रिया प्राप्त करना था ।
4. राज्य वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त
समिति के द्वारा देश के लिए एक दोहरी माल एवं सेवा कर प्रणाली का प्रस्ताव रखा
गया है । इस दोहरी माल एवं सेवा कर प्रणाली को केन्द्र ने स्वीकार कर लिया है ।
इस जी एस टी मॉडल के तहत दो संघटक होंगे,
अर्थात केन्द्रीय माल एवं सेवा कर, जो केन्द्र द्वारा लगाया व वसूल किया जाएगा,
तथा राज्य माल एवं सेवा कर, जो संबंधित राज्यों द्वारा लगाया व वसूल किया जाएगा
। केन्द्रीय उत्पाद शुल्क, अतिरिक्त उत्पाद शुल्क, सेवा कर तथा सीमा शुल्क
का अतिरिक्त शुल्क (उत्पाद शुल्क के समकक्ष) राज्य मूल्य वर्धित कर, मनोरंजन
कर, लौटरी, सट्टेबाजी तथा जुए पर कर तथा प्रवेश कर (जो स्थानीय
निकायों द्वारा नहीं लगाया गया हो) को माल एवं सेवा कर में शामिल किया जाएगा
5. माल एवं सेवा कर से संबधित कार्य को
आगे बढ़ाने के लिए राज्य सरकार सहित केन्द्रीय सरकार के अधिकारियों का एक
संयुक्त कार्य दल गठित किया गया है । माल एवं सेवा कर हेतु अपेक्षित प्रारूप
विधानों, माल एवं सेवा कर की प्रक्रिया/फार्म इत्यादि तथा प्रस्तावित माल एवं
सेवा कर के बाधारहित कार्य हेतु अपेक्षित
सूचना प्रौद्योगिकी अवसरंचनात्मक विकास के लिए इस कार्य दल को तीन उप-कार्य ग्रुपों में विभाजित किया गया ।
इसके अतिरिक्त, माल एवं सेवा कर पद्धति हेतु अपेक्षित सूचना प्रौद्योगिकी प्रणाली
के विकास के लिए डॉ0 नंदन नीलकेणी की अध्यक्षता में एक अधिकार प्राप्त समिति स्थापित
की गई है ।
6.
सांविधनिक संशोधन विधेयक का मसौदा तैयार कर लिया गया है तथा राज्यों के
विचार प्राप्त करने के लिए राज्य वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति को
भेज दिया गया है ।
Wednesday, 15 October 2014
What is GST?
What is GST? जी.एस.टी. क्या है ?
GST
(Good and Service Tax) एक राष्टीय स्तर पर
वस्तुओ एवम सेवाओं के उत्पादन , बिक्री और खपत
पर व्यापक स्तर पर TAX कर लेने की व्यवस्था है. GST के द्वारा सम्पूर्ण देश में एक जैसी कर प्रणाली अपनाई
जाएगी. जिससे कि दोहरी कर प्रणाली से बचा जा सकता है और GDP Growth 1-2 प्रतिशत की बढ़ोतरी
होने की संम्भावना है. GST एक देश में एक ही कर प्रणाली पर आधारित होने के कारण
इसमें सम्पूर्ण देश की अर्थव्यवस्था में उतपादन एवं सेवाओ के माध्यम से राष्टीय आय
में भी इजाफा होगा. विभिन्न राज्यों के द्वारा भिन्न भिन्न TAX System अपनाने के कारण
व्यवसायियों को भी परेशानी होती है. यह TAX System Good and
Service की आपूर्ति पर देय है. जो GST के लिये इंडिया में संविधान संसोधन के द्वारा इसे लागू
करने की व्यवस्था की जाएगी
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